Friday, December 07, 2012

आस्तित्व बूँद का ......

समन्दर  से अलग होकर  बूँद,
समन्दर से बेवफाई करती है ,
लेकिन अपने आस्तित्व को एक नया जन्म देती है !
बूँद फिर से समन्दर में समाकर,
समन्दर से अपनी  वफ़ा निभाती है,
और अपने आस्तित्व को एक बार फिर से मिटाती  है !!

5 comments:

  1. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  2. वफा और वेवफाई का सुन्दर चित्रण किये है,अतिसुन्दर।

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  3. बहुत उम्दा भाव ,सार्थक प्रस्तुति,,,प्रतिभा जी,,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

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  4. बेहतरीन रचना

    सादर

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