Wednesday, December 26, 2012

वक्त .....

ऐसा नहीं कि  हर पहलू
हमें ख़ुशी दे जाए
ऐसा भी नहीं कि  हर पहलू
हमें गम दे जाए
पर कौन सा पहलू
कब क्या दे जाए
ये हम कैसे जान पायेंगें
जब खुद के सीने की साँसों  को
हम महसूस नहीं कर पाते
हर धड़कन को हम
पहचान नहीं पाते
तो हम कैसे पता करें
कि कौन सा इंसान हमें
कब क्या दे जाएगा ।।



4 comments:

  1. बिलकुल सही इसलिए आँख और कान खुले रखना और चौकन्ना रहना बेहद जरुरी है

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  2. भाषा सरल,सहज यह कविता,
    भावाव्यक्ति है अति सुन्दर।

    वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  3. बहुत प्रेरक रचना..

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