Wednesday, July 30, 2014

वो कच्ची पक्की सी यादें ...

याद हैं मुझे तुम्हारे साथ
बिताये हर पल
जिनमें तुम थे
और हमारा छोटा
सा परिवार
हँसता खेलता
एक प्यारा सा
संसार
वो बचपन की यादें
वो मेरी सरारतें
तुमको दुखी करके
मेरा वो खुश हो जाना
फिर प्यार से तुम्हारे
पास आके तुम्हारे
गले से लग जाना
मुझे माफ़ करके
तुम्हारा वो खुश हो जाना 
वो कच्ची पक्की सी यादें
क्यों कर रही हैं
परेशाँ  मुझे
आखिर आज क्यों
तुम इतना याद आ
रहे हो
बचपन की हर याद को
मेरे सामने ला रहे हो
रोने का मन तो बहुत है
पर मुझे रोना नहीं है
हाँ मुझे पता है
मैं कमजोर हो रही हूँ
पर क्या करूँ मैं भी
तो आखिर एक इंसान हूँ। ।




Tuesday, July 29, 2014

हाँ ये मैं ही हूँ…

हाँ ये मैं ही हूँ
जो कल थी लाचार सी...

तुम्हारे सामने
हर बात से डरती
हर बात से घबराती।

कुछ होता तो
तुम्हारे साये में आके
चुपके से छुप जाती ।

बिना किसी
बात के
यूँ ही डर जाती ...

पर आज मैं
बदल गई हूँ
हाँ मैं बदल गई हूँ ।

न है कुछ खोने का डर मुझे
न है कुछ पाने की चाहत
अब मुझमें ।

तुम न सही तो
तुमसा भी नहीं चाहिए
क्योंकि होगा वो भी...

एक इन्सान
शायद तुम्हारे जैसा
या तुमसे अच्छा।।





Saturday, July 26, 2014

एक नया सफर…

हाँ पता है 
तुम बढ़ा रही हो 
एक नया कदम
एक नई  ज़िन्दगी के लिए 
खुश हूँ मैं तुम्हारे लिए 
बहुत खुश 
बस बचाना चाहती हूँ 
तुम्हे दुनिया की नज़र से 
और हमेंशा 
खुश देखना चाहती हूँ 
तुमको 
जहाँ हो तुम्हारी एक 
प्यारी सी दुनिया 
एक प्यारा सा संसार 
प्यारी सी ज़मीं 
एक प्यारा सा आसमान 
बस तुम खुश रहो 
सलामत रहो सदा 
यही दुआ है रब से।। 

Wednesday, July 23, 2014

उफ़ ये रात …

उफ़ ये रात
काली सी डरावनी सी...

रोज़ आ जाती है
कुछ नए सपने लिए
कुछ पुराने दर्द लिए।

अपने अंदर
कुछ सिसकियाँ
और कुछ लम्हे छुपाये।

क्यों आती है
ये रात
उन लम्हों के साथ।

मुझे कुरेदती है
कुछ नए सपने
भी दिखाती है।

डर लगता है
इन रातों में...

तुम्हारा ही साया
दिखता  है
इन अंधेरों में।

डरती हूँ आँख बन्द  करने से
कि कहीं फिर एक सपना
टूटने को सवँर न जाए।।     

Tuesday, July 22, 2014

रात बीत गई चाँद निहारते निहारते …

रात बीत गई चाँद निहारते निहारते …
पर तुम्हारी कोई खबर न आई

तुम्हारे इंतज़ार में
रात कब गुजर गई
पता ही न चला

तुम्हे समझ कर
करती रही चाँद
से बाते

और तुम भी तो...

कुछ चाँद की ही तरह हो
बस मेरी सुनते रहते हो
खुद कभी कुछ नहीं कहते

तम्हारी ख़ामोशी
कुछ तो कहती है
या शायद मैं
समझ नहीं पा रही

बेबसी फासलों की
कह लो
या वक्त की
पाबंदी

जो तुम्हे समझकर भी
तुमसे अन्जान हूँ

जब वक़्त मिले तब बताना
शायद हम भी तुम्हें  फुरसत  से
सुनना चाहतें हैं।।


Sunday, July 20, 2014

हमारी आद्या...



छोटी सी प्यारी सी है 
हमारी आद्या,
फूलों सी कोमल है 
हमारी आद्या,
जुगुनू की रोशनी  है 
हमारी आद्या,
धूप में पेड़ की छाँव है 
हमारी आद्या,
बारिश की ठंडी बौछार है 
हमारी आद्या,
एक मीठा सा एहसास है 
हमारी आद्या,
तभी तो गीतिका की दुलारी है 
हमारी आद्या।। 



Thursday, July 17, 2014

काश होते तुम बारिश की बूँद…

काश कही से आ जाते तुम
बारिश की बूँद की तरह, 

मन को दे जाते तसल्ली
तपती रेत पर ठंडी बौछार की तरह।

लो अब तो बारिश भी आ गई
पर तुम्हारा कोई पता नहीं,

अनजानी इस राह में
मेरा कोई हमसफ़र नहीं।

कैसे बुलाऊँ तुमको
खुद से मिलने,

जब मुझे खुद
तुम्हारा पता नहीं।।




Thursday, July 10, 2014

एक सूरत बनाई है...

सोंचती हूँ तुम्हारे बारे में
तुम्हारी सूरत के बारे में...

एक धुंधली सी तस्वीर बनाई है
पर समझ नहीं आता
कि तुम कौन हो।

जो भी हो
दिल के बहुत अच्छे हो
मन के बहुत सच्चे हो ।

नहीं पता तुम्हारी खूबियाँ
नहीं पता
तुम्हारी कमजोरियाँ ।

अभी अधूरी है
तस्वीर तुम्हारी
तो क्या हुआ ।

जिस दिन पूरी होगी
बताऊँगी  तुमको
तुम्हारे ही बारे में ।

मिलाऊँगी  तुमको तुमसे ही
तुम्हारी एक नई  पहचान
कराऊँगी तुमसे ही ।

बस इतना ही कहना है
अभी तुमसे…

जब मिलूँगी  तब बताऊँगी
कुछ अपने बारे में
और कुछ तुम्हारे बारे में ।

बस अभी तो तस्वीर पूरी करनी है
ताकि मिल सकूँ तुमसे
और मिला सकूँ तुमको तुमसे।।