Monday, June 15, 2015

ये बारिश और तरशती आँखे...

अजीब सी कसक है इन आँखों में
एक सूनापन या
किसी के आने का इन्तज़ार
एक गुजरा लम्हा या
एक नए सपने की आस
तुम्हारी आहट तो सुनाई देती है
पर तुम दिखाई नहीं देते
उफ़ ये डरी  सी सहमी सी आँखे
कुछ  तो कहना चाहती हैं
बारिश की हर गिरती बूँद के साथ
तुम्हारी राह तकना चाहती हैं
कभी तो कुछ तो बोलोगे
कुछ तो कहोगे
इस आस में बेपनाह
तुम्हारी राह तकना
चाहती हैं !!!

7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-06-2015) को "घर में पहचान, महानों में महान" {चर्चा अंक-2008} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. सुन्दर रचना !
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है !
    manojbijnori12.blogspot.com
    अगर ब्लॉग अच्छा लगे तो कृपया फॉलो कर हमारा मार्गदर्शन करे

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  3. तरसती आँखे .......सुन्दर

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  4. बहुत खूब्सूरत अहसास

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  5. खूबसूरत शब्दों का ताना बाना ... सुन्दर एहसास ...

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  6. सुन्दर भावपूर्ण रचना

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