Friday, September 23, 2016

माना कि ज़िन्दगी आसाँ...

माना कि ज़िन्दगी आसाँ  नहीं होती,
जब जीने की कोई वजह नहीं होती!
अधूरे लम्हों की अधूरी कहानी सी लगती है,
अपनी ही दास्ताँ बेगानी सी लगती है !
माफ़ कर सको तो कर देना उस शक्स को,
वरना ज़िन्दगी हमारी नहीं लगती है !!

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