Friday, January 20, 2017

मिट्टी में खेलते हुए सपने देखें हैं मैंने ...



मिट्टी में खेलते हुए सपने देखें हैं मैंने 
इन नन्हें हांथों की लकीरें देखीं हैं मैंने 
कितना प्यारा है ये बचपन 
जहाँ न कल की कोई फिक्र है 
न ही आज की कोई चिंता 
बस मासूमियत से 
भरे ये चेहरे 
हँसी से खिलखिलाते हुए 
इन नन्हें क़दमों की 
आहट भी कितनी प्यारी है 
बिना किसी छल के 
चले जा रहें हैं 
हाँ इन मुस्कुराते हुए 
चेहरे की लाली देखी है मैंने 
मिट्टी में खेलती हुई 
ज़िन्दगी देखी है मैंने !!

Tuesday, January 17, 2017

ये जो पल बिताएं हैं ...



ये जो पल बिताएं हैं 
हमने साथ मिलके,  
खट्टी मीठी सी यादें 
बनकर रह जाएंगे !
बस कुछ यादों में सिमट जाएंगे 
और कुछ बातों में,
सम्भाल के रखना चाहो 
तो बंद कर लेना मुठ्ठी  में !
वरना धूप  में ओस 
की तरह गुम हो जाएंगे !!