Thursday, December 13, 2018

मुझे वो लम्हा भुलाना नहीं ...

भुला तो सकती हूँ तुम्हें
पर भुलाना नहीं चाहती
तुम्हारे साथ बिताए उस लम्हे को
कोई नाम या पहचान नहीं देना चाहती
वो जो पल हमने संग बिताया था
एक खूबसूरत सा लम्हा बन के रह जाएगा
तुम्हारी भीनी सी वो खुसबू
दिल और दिमाग के किसी कोने में बसा ली है
हाँ बातें तो बहुत करनी थी पर शायद
सही वक़्त ही नहीं आया
चलो कोई नहीं ...
वक़्त नहीं मिलने का
कोई अफ़सोस नहीं है मुझे
न ही तुमसे जुड़े रहने की कोई चाहत
बस तुम्हे भुलाना नहीं चाहती !!
वो मद्धिम सी रोशनी में
मेरा हाँथ थाम के मुझे गले से लगाना
और एक ही पल में
मेरे अंदर एक तूफ़ां का आना
अंदर से पूरी हिल गई थी
मानो सारे तार एक साथ बज उठे थे
फिर कुछ ही पल में खुद को खुद में समेटकर
कुछ वक़्त खुद की धड़कनो को भुला कर
तुम्हारी धड़कनो को सुनने में मेरा वो मशगूल हो जाना
फिर तुम्हारी पनाहों में यूँ खो जाना
हाँ सब याद है मुझे !!
नहीं मुझे तुम्हे कुछ याद नहीं दिलाना
न ही किसी और मुलाकात का अब बहाना बनाना
माना एक अरसा बीत चुका है हमें मिले हुए
पर तुम्हारा वो मेरा हाँथ थामकर
अपनी तरफ खींचकर अपनी बाँहों में लेना
फिर मेरे मत्थे पे एक प्यारा सा एहसास देना
मुझे आज भी कल का किस्सा लगता है!!
चलो छोड़ो जाने भी दो
सच कहूं ...
न ही कोई शिकवा है तुमसे न ही कोई शिकायत
बस उस लम्हे को कहीं एक मीठी याद की तरह
सँजो  लेना चाहती हूँ
और उस मुलाकात को कभी भुलाना नहीं चाहती !!
उस दिन वापस लौट आने की ज़िद मेरी न थी
पर कम्बख़्त ये दिमाग नहीं माना
खींच के तुम्हारे पहलु से
कोई दूर सुनसान सी सड़क पे
ले जाके छोड़ दिया
पूरे रास्ते सोंचती रही काश तुम
हाँथ थाम लेते और कहते मत जाओ
हाँ शायद मैं भी रुक जाती उस रोज 
पर क्या फायदा... 
वापस आना भी तो जरूरी था 
खुद को समेट कर किसी तरह 
चली आयी मैं वहाँ से 
पर दिल के किसी टुकड़े को छोड़ आई 
उस मद्धिम सी रोशनी में !!
चलो ये भी बता दूँ मैं उसे वापस लेना नहीं चाहती 
रहने दो उसे वहीँ उसी जगह पे  
हाँ मेरा मकसद तुम्हे वो सब याद दिलाना नहीं 
पर सच कहूं मुझे वो लम्हा भुलाना नहीं 
मुझे वो लम्हा भुलाना नहीं !!



Wednesday, December 05, 2018

ऐ ज़िन्दगी तुझे...


ऐ  ज़िन्दगी तुझे मैं क़रीने  से बयां करुँगी
हर एक किस्से को सलीके से लिखूंगी
इन राहों पे चलते चलते
कभी थकान नहीं लगती
फिर तूने लाख कोशिश क्यों न कर ली हो
मेरे हर सफर को मुश्किल बनाने की
पर मैंने कभी हार नहीं मानी
न ही कभी थमी बस चलती गई
तबियत से बयाँ करुँगी हर वो किस्सा
हर लफ्ज़ को बड़े ही किफ़ायत से लिखूंगी
ऐ  ज़िन्दगी तुझे...
मौके बहुत आये
जब तूने मेरे हर मोड़ पे तूफ़ां लाये
तूने हर कोशिश कर ली
मुझे हराने की, लाचार बनाने की
पर मैं भी हिम्मत की पक्की निकली
देख तेरे सामने डट के खड़ी हूँ आज
ऐ  ज़िन्दगी तुझे...
तेरी ख़ुशी का अन्दाज़ा भी लगा सकती हूँ
तू आज हंस रही है अपनी ही हार पे
फ़क्र है तुझे मेरी हिम्मत पे
गुरुर है तुझे मेरे हर जज़्बे पे
हाँ तूने मुझे जीना सिखा दिया
हर जंग में जीतना सिखा दिया !
ऐ  ज़िन्दगी तुझे मैं क़रीने  से बयां करुँगी !!



Thursday, November 22, 2018

जब हम न होंगे

जब हम न होंगे
हमारी बातें भी न होंगी !
तुम चाहोगे भी
तो ये मुलाकातें न होंगी !
यादों से भी तुम्हारी
हम इस कदर चले जाएंगे
कि ख़यालों में भी बातें न होंगी !
तुम्हारी सोंच से भी हम
दूर चले जाएंगे ,
तुम्हें हमारा नाम याद करने में
फिर तकलीफें न होंगी !!

Wednesday, October 24, 2018

नहीं उतार सकते तुम्हारा ये कर्ज !!

ज़माने हो गए तुमको ये बताये हुए 
कि तुम्हारा खयाल आता है मुझे 
पर कभी - कभी वक़्त की कमी 
हो जाती है... 
फ़िक्र तुम्हारी आज भी उतनी ही है 
जितनी कल किया करते थे 
और वादा रहा कि 
ताउम्र करते रहेंगे 
तुम फौलाद हो 
तुम आग का दरिया हो 
तुम कमजोर नहीं थी 
न ही कभी हम होने देंगे 
बन के परछाईं तुम्हारी 
हर वक़्त तुम्हारे साथ 
खड़े होंगे !
नहीं दे सकती हिसाब 
उन अनगिनत रातों का 
जब तुम्हारी नींद उड़ा  के 
हम खुद चैन से सोए हैं 
तुमने अपने आँखों के 
आंसू छुपा के 
हमारे चेहरे पे 
ये जो मुस्कान दी है 
नहीं उतार सकते तुम्हारा ये कर्ज 
बस एक वादा करते हैं 
कभी तुम्हारी आंखों को 
अब फिर से नम न होने देंगे 
हाँथ पकड़ के तुम्हारा 
हर वक़्त साथ खड़े होंगे !!

Tuesday, October 02, 2018

वो बेफिक्री की ज़िन्दगी लौटा दो...

वो जो बेफिक्री की ज़िन्दगी जीनी थी मुझे 
जो दब गई थी कहीं ज़िम्मेदारियों के तले 
या यूँ कहूँ वक़्त की मांग थी 
या किस्मत का दस्तूर 
हाँ वही जो पीछे छूट गई है 
जो शायद अभी भी 
मेरा इंतज़ार कर रही है ! 
बाहें खोले आज भी 
मुझे बुला रही है 
हाँ वो लम्हे एक बार तो जीने हैं 
फिर से वो बेफिक्री वाली ज़िन्दगी जीनी है 
बोलो न तुम मेरा साथ दोगे न 
ले जाऊँगी तुम्हे 
तुम्हारे बचपन में 
जहाँ तुम छुप - छुप के 
शरारत किया करते थे 
तुम्हे तुम्हारी उस दुनिया से 
फिर एक बार रूबरू करना है !
हाँ... 
माना कि तुमने अपने हिस्से की 
ज़िन्दगी तो जी ली... 
कोई नहीं चलो मैं तुम्हे अपने 
बचपन से मिलाती हूँ 
वो बेफिक्री की ज़िन्दगी जीने का 
एक और मौका देती हूँ !
माना कि तुम्हे परेशां बहुत करुँगी 
वो रात में उठ के आइस्क्रीम खाने की 
ज़िद भी कर सकती हूँ 
और कभी लॉन्ग ड्राइव पे जाने की चाहत !
बोलो न दोगे न मेरा साथ 
वो रात में खुले आसमाँ के नीचे 
तारों से भरी चादर के तले 
हाँथ पकड़ के 
घंटों समन्दर किनारे की रेत पे 
भी चलना पड़ सकता है !
पर वादा करती हूँ...
सुनूँगी तुम्हे और समझूँगी भी 
तुम्हारे हिस्से का वक़्त भी तुम्हे दूँगी !
पर वो ज़िन्दगी...  
जो मुझसे कहीं पीछे छूट गई है 
वो जीने का मौका दिला दो 
फिर मुझे एक बार 
वो लम्हे लौटा दो 
अब बोलोगे कि...
मैं तुमसे ही क्यों कह रही हूँ  
अरे तुम्हे तो एक मौका दे रही हूँ 
खुद से मिलाने का 
खुद से रूबरू कराने का !
मेरी उल्टी सीधी  शरारतों से 
तुमको मिलाने का 
फिर तुम भी कहीं न कहीं 
याद ही करते होगे 
वो बचपन की शैतानी 
वो स्कूल की कहानी 
तुम भी तो कुछ बताओगे 
जब मेरे साथ वो वक्त बिताओगे !
एक मौका मुझे भी मिलेगा 
तुम्हारे और नज़दीक आने का 
तुम्हे करीब से पहचानने का 
तुम्हारा हाँथ पकड़ के 
जब भी कोई उल्टी सीधी ज़िद करुँगी 
तुम्हे भी मज़ा आएगा 
मुझे सताने का और मनाने का !
वो बेफिक्री की ज़िन्दगी लौटा दो 
एक बार उसे फिर से जीने का 
बस एक और मौका दिला दो !!

Friday, September 14, 2018

कमजोर नहीं हैं हम ...




कमजोर नहीं हैं हम 
हम तो वो बहती हवा हैं 
जो नदियों का रुख बदल देतीं हैं !
जो आँधियों से नहीं डरती 
हिमालय की तरह सर ऊँचा कर 
हर तूफाँ  से टकराने को तैयार हैं !!


Monday, February 26, 2018

तब से तुमसे प्यार किया है...

जब तुमने पहली बार 
मुझे देखा था 
उन झुकी हुई निगाहों से 
तब से तुमसे प्यार किया है 

जब तुम शरमा के 
भाग गई थी 
और चुपके से 
झरोखे से मुझे 
देख रही थी 
तब से तुमसे प्यार किया है

तुम्हारी पायल की 
वो आवाज़ आज भी 
कहीं कैद है 
इस दिल के किसी कोने में 
तब से तुमसे प्यार किया है

तुम्हारे लबों की वो हंसी 
आज भी... 
दिल को तसल्ली दे जाती है 
तब से तुमसे प्यार किया है

आज भी याद है 
वो पीला दुपट्टा तुम्हारा 
जिसके कोने से तुम 
खेल रही थी 
और चोर निगाहों से 
मुझे देख रही थी 
हाँ तब से तुमसे प्यार किया है!!

Sunday, February 04, 2018

इत्तेफ़ाक से गर तुम्हे मिल जाए जिंदगी ...

इत्तेफ़ाक से गर तुम्हे मिल जाए जिंदगी 
मुस्कुराते हुए किसी चौराहे पे 
हंस के मेरा भी सलाम कर देना 
जिंदगी की उन तंग गलियों से 
हम निकल न पाए वक़्त पे 
शायद तभी थोड़ी नाराज़ सी है 
पता है हमको मना  तो लेंगे 
बस अभी वक़्त की कुछ पाबंदी है 
डर  है कहीं रिश्ता न टूट जाए 
और वो हमे भूल न जाए... 
तुम्ही मेरा संदेशा पहुंचा देना 
उसको मेरे होने का एहसास करा देना 
शायद खुद मिलने चली आये हमसे 
वक़्त निकाल के! 
सोंचती हूँ मिलेगी तो क्या बोलूंगी... 
शिकायत करूँगी 
बहुत लड़ूंगी भी 
भला ऐसे कोई नाराज़ होता है क्या... 
बिना बात किये कैसे कोई रह सकता है 
मना लूँगी मैं अपने तरीके से 
बस तुम मेरा संदेशा पहुंचा देना 
मेरे होने का उसको एहसास करा देना!!

Tuesday, January 23, 2018

देखते हैं वक़्त का फैसला क्या होता है !!


जब भी तुम्हारा जिक्र होता है 

लबों पे ख़ुशी खुद -ब- खुद आ जाती है 

क्या है हक़ीक़त किसको मालूम 

कल क्या होगा किसको खबर 

आज तुम हो और ये पल 

कब धूमिल हो जाए किसको खबर 

कुछ तो खास है तुम में 

और तुम्हारी बातों में 

जो ये पल थम सा गया है 

अब देखते हैं वक़्त का फैसला क्या होता है !!